Unlisted companies: अनलिस्टेड कंपनियों ने बाज़ार में मचाया तहलका, FY24 में मुनाफे की छलांग, लिस्टेड कंपनियों को भी पीछे छोड़ा

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Unlisted companies: ब्लूओशन कैपिटल एडवाइजर्स के फाउंडर और सीईओ निपुण मेहता का कहना है कि अनलिस्टेड कंपनियों के लिए वित्तीय हालात अब पहले से कहीं बेहतर हो गए हैं। उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे शेयर बाजार में उछाल आया है, वैसे-वैसे अनलिस्टेड कंपनियों में भी विश्वास बढ़ा है। निवेशकों को अब इन कंपनियों में मुनाफा दिखने लगा है, खासकर उन कंपनियों के लिए जिनके एक्सिट (निवेश की निकासी) का रास्ता अब ज्यादा साफ है।

निपुण मेहता ने कहा, “पहले अनलिस्टेड कंपनियों में वॉल्यूम बहुत कम थे और निवेशकों को मुनाफा हासिल करने के लिए कोई गारंटी नहीं थी, क्योंकि निकासी की कोई निश्चित योजना नहीं थी। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। अब, हमारे परिवारों के निवेश पोर्टफोलियो में अनलिस्टेड कंपनियों का हिस्सा बढ़ चुका है, क्योंकि अब उनके लिए निकासी के ज्यादा मौके हैं।”

कुछ खास क्षेत्रों, जैसे खनन और वस्त्र उद्योग, में भले ही चुनौतियाँ आईं, लेकिन अनलिस्टेड कंपनियां इन सेक्टर्स में भी ज्यादा लचीली और मजबूत साबित हुईं। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं नयारा एनर्जी, फ्लिपकार्ट इंडिया और एप्पल इंडिया जैसी कंपनियां, जिन्होंने न केवल अपने लिस्टेड प्रतिस्पर्धियों को पछाड़ा, बल्कि बड़े पैमाने पर अपनी बिक्री और मुनाफे में वृद्धि भी की।

नयारा एनर्जी: इस कंपनी ने FY24 में 13.4% की वृद्धि के साथ 1.3 ट्रिलियन रुपये की बिक्री की, जो एक शानदार प्रदर्शन है।

फ्लिपकार्ट इंडिया: फ्लिपकार्ट की बिक्री 26.4% बढ़कर 70,542 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। इस वृद्धि ने अनलिस्टेड कंपनियों के लिए नए अवसर खोले हैं।

एप्पल इंडिया: एप्पल इंडिया ने अपनी बिक्री में 35.7% की जबरदस्त वृद्धि की, और 66,727.7 करोड़ रुपये की बिक्री की।
इन तीनों कंपनियों के आंकड़े स्पष्ट रूप से बताते हैं कि अनलिस्टेड कंपनियां भी अब अपनी लिस्टेड समकक्ष कंपनियों से कहीं आगे निकल चुकी हैं। कुल मिलाकर, FY24 में अनलिस्टेड कंपनियों के मुनाफे में 29% की वृद्धि हुई है, जो पिछले वर्ष के मुकाबले बहुत अधिक है।

इसकी तुलना में, लिस्टेड कंपनियों ने इस दौरान उतनी बड़ी बढ़ोतरी नहीं दिखाई। FY24 के आंकड़े यह भी साबित करते हैं कि जो स्थिति पिछले दो वर्षों में रही, जिसमें लिस्टेड कंपनियों ने अनलिस्टेड कंपनियों को बिक्री में पछाड़ दिया था, अब वह पलट गई है।

निपुण मेहता ने इस बदलाव को इस प्रकार समझाया, “अनलिस्टेड कंपनियों का प्रदर्शन अब बेहतर हो रहा है क्योंकि अब इन कंपनियों के लिए निकासी के रास्ते साफ हो गए हैं। इसके साथ ही, अनलिस्टेड कंपनियों की प्रोफ़ाइल और उनके व्यापार मॉडल में भी बदलाव आया है, जो निवेशकों के लिए अधिक आकर्षक बन गए हैं।”

आखिरकार, यह स्थिति दर्शाती है कि अनलिस्टेड कंपनियां अब निवेशकों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन चुकी हैं, और उनकी सफलता से यह साबित होता है कि वे लिस्टेड कंपनियों से कहीं आगे बढ़ चुकी हैं।

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