India Income Inequality: भारत की आय असमानता 2023 में 1950s से ज्यादा, क्या है समाधान?

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India Income Inequality

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भारत में आय की असमानता 2023 में 1950 के दशक से भी ज्यादा रही, भले ही महामारी के बाद कुछ सुधार देखने को मिले। यह चौंकाने वाली जानकारी रविवार को पीपल रिसर्च ऑन इंडिया के कंज्यूमर इकॉनमी (PRICE) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में आई है।

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का गिनी गुणांक 2023 में 0.410 था, जो 1955 में 0.371 था। 2021 में महामारी के कारण यह गुणांक बढ़कर 0.528 तक पहुँच गया था। गिनी गुणांक से यह पता चलता है कि किसी देश में आय का वितरण कितना असमान है। 0 का मतलब है पूरी समानता और 1 का मतलब है पूरी असमानता।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि देश के शीर्ष आय वर्ग के पास संपत्ति का बहुत बड़ा हिस्सा जमा हो गया है, जबकि निचले 10 प्रतिशत लोग अभी भी संघर्ष कर रहे हैं। यह दिखाता है कि भारत को अब भी समान आर्थिक विकास के लिए लंबे समय तक प्रयास करने की जरूरत है।

ग्रामीण इलाकों में गिनी गुणांक 0.405 था, जो 1955 में 0.341 था। वहीं शहरी इलाकों में यह थोड़ा कम होकर 0.382 हो गया, जो पहले 0.392 था। इसका मतलब है कि शहरी इलाकों में आय वितरण में सुधार हुआ है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में असमानता बढ़ी है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि निचले 10 प्रतिशत घरों का कुल आय में हिस्सा 1955 के 3 प्रतिशत से घटकर 2023 में 2.38 प्रतिशत हो गया। वहीं, निचले 50 प्रतिशत घरों का आय हिस्सा थोड़ा बढ़कर 22.82 प्रतिशत हो गया।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA), डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर और वित्तीय समावेशन जैसी योजनाओं ने कुछ हद तक निचले वर्ग की आय में वृद्धि की है।

PRICE के CEO राजेश शुक्ला ने कहा कि भारत की आर्थिक यात्रा असमानता के झूलते हुए पैटर्न को दर्शाती है। महामारी के बाद कुछ सुधार देखने को मिले हैं, लेकिन इन सुधारों को बनाए रखने के लिए नीतियों में सतर्कता और लचीलापन जरूरी है।

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि वर्ल्ड इनइक्वालिटी डेटाबेस (WID) जैसे मॉडल आधारित अनुमान असल असमानता को सही से नहीं दिखाते, क्योंकि वे सिर्फ उच्च आय वर्ग पर ध्यान केंद्रित करते हैं और भारत जैसे देशों में बड़े अनौपचारिक क्षेत्र को नजरअंदाज करते हैं। WID के मुताबिक, 2023 में टॉप 1 प्रतिशत ने राष्ट्रीय आय का 22.6 प्रतिशत नियंत्रण किया, जबकि घरेलू आय सर्वे के अनुसार, उनका हिस्सा सिर्फ 7.3 प्रतिशत था।

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