Mutual Funds: 2025 के बजट से म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को क्या उम्मीदें? जानें डेट फंड्स और टैक्स राहत पर मुख्य मांगें

Mutual Funds
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को 2025-26 के केंद्रीय बजट से बहुत उम्मीदें हैं, और इन उम्मीदों का मुख्य फोकस डेट फंड्स के लिए इंडेक्सेशन लाभ को फिर से बहाल करना है। पिछले साल, वित्तीय वर्ष 2023 में, सरकार ने डेट फंड्स पर इंडेक्सेशन लाभ को हटा दिया था, जिससे निवेशकों को कर लाभ नहीं मिला। अब म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री चाहती है कि इस साल के बजट में यह लाभ वापस मिल जाए, ताकि डेट फंड्स में निवेश करने वालों को राहत मिल सके।
क्या है इंडेक्सेशन लाभ और क्यों है यह अहम?
इंडेक्सेशन लाभ एक ऐसा टैक्स लाभ था, जो डेट फंड्स में तीन साल या उससे अधिक समय तक निवेश करने पर मिलता था। इसका मुख्य उद्देश्य मुद्रास्फीति के असर को कम करना था, ताकि निवेशकों को अपने निवेश पर वास्तविक लाभ मिल सके। उदाहरण के लिए, अगर आपने तीन साल तक डेट फंड में निवेश किया था, तो उस समय की मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए आपके लाभ पर टैक्स लगाया जाता था। इस प्रक्रिया से निवेशकों को टैक्स में छूट मिलती थी और उनका रिटर्न अधिक होता था।
लेकिन जुलाई 2023 में सरकार ने यह राहत हटा दी, और अब डेट फंड्स को शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन माना गया है, चाहे आप इन्हें कितने भी सालों तक होल्ड करें। इससे पहले लंबी अवधि में डेट फंड्स में निवेश करना फायदेमंद माना जाता था, लेकिन अब यह बदलाव इसे कम आकर्षक बना सकता है।
इंडस्ट्री की मुख्य उम्मीदें
म्यूचुअल फंड उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार के बजट में सरकार को डेट फंड्स के लिए इंडेक्सेशन लाभ को फिर से बहाल करना चाहिए। इस कदम से डेट फंड्स रिटेल निवेशकों के लिए और भी आकर्षक बन सकते हैं। साथ ही, इससे फिक्स्ड इनकम मार्केट में निवेश की ओर रुझान बढ़ सकता है। खासकर, पिछले एक साल में इस सेक्टर में निवेशकों की संख्या कम हुई है, इसलिए इस कदम से निवेशकों का भरोसा फिर से मजबूत हो सकता है।
फेरेज़ अजीज, जो अनाथ राठी वेल्थ लिमिटेड के डिप्टी सीईओ हैं, उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि बजट में डेट फंड्स के लिए इंडेक्सेशन लाभ को फिर से बहाल किया जाएगा। इससे रिटेल निवेशकों के लिए इन फंड्स में निवेश करना और अधिक आकर्षक होगा। यह फिक्स्ड इनकम मार्केट में निवेश को बढ़ावा देने में मदद करेगा।”
क्या कर राहत की उम्मीदें हैं?
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि डेट म्यूचुअल फंड्स पर टैक्स रेट को लेकर कुछ राहत की संभावना हो सकती है। हालांकि, दीपक अग्रवाल, जो कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट में डेट के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर हैं, उनका मानना है कि इस समय टैक्स में कोई बड़ा बदलाव होने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा, “हालांकि कुछ कर राहत की उम्मीदें हैं, लेकिन यह बहुत कम ही संभावना है। पिछले कुछ समय में कर बदलाव हो चुके हैं, और इससे पहले ही इस सेक्टर पर असर पड़ा है।”
म्यूचुअल फंड्स के लिए अन्य प्रमुख मांगें
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की अन्य मुख्य मांगों में से एक है कि कैपिटल गेन टैक्स और सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) को कम किया जाए। इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञ चाहते हैं कि म्यूचुअल फंड्स को पेंशन-ओरिएंटेड फंड्स लॉन्च करने की अनुमति दी जाए, ताकि रिटायरमेंट के लिए निवेश को बढ़ावा दिया जा सके।
जिमी पटेल, जो क्वांटम एएमसी के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ हैं, उनका कहना है, “हम उम्मीद करते हैं कि इस बजट में कैपिटल गेन टैक्स और STT को कम किया जाएगा। इसके अलावा, म्यूचुअल फंड्स को पेंशन योजनाओं में निवेश का अवसर भी मिल सकता है, जिससे और अधिक निवेशक इन योजनाओं में भाग लेंगे।”
इसी के साथ, म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री ने नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) के साथ कर समानता की मांग की है। इसका मतलब यह है कि म्यूचुअल फंड्स को भी वही कर लाभ मिल सकें, जो NPS में होते हैं। इससे रिटायरमेंट के लिए निवेशकों को और अधिक आकर्षित किया जा सकता है और वे लंबी अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं।
स्विचिंग पर कर राहत
1 Finance की राजानी तंडाले का कहना है कि बजट में रेगुलर प्लान से डायरेक्ट प्लान में स्विच करने पर कैपिटल गेन टैक्स को खत्म करना चाहिए। इससे निवेशक अधिक फायदे की स्थिति में होंगे और उनके रिटर्न में वृद्धि होगी। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि सात साल से अधिक समय तक होल्ड किए गए इक्विटी म्यूचुअल फंड्स पर टैक्स-फ्री ग्रोथ मिलनी चाहिए, ताकि निवेशक अपने निवेश को लंबी अवधि तक बनाए रखें और पोर्टफोलियो चर्निंग कम हो।
निवेशक विश्वास को बढ़ावा देने की आवश्यकता
एएमएफआई के सीईओ वेणकट चलसानी का मानना है कि इस बार का बजट निवेशक विश्वास को बढ़ावा देने और म्यूचुअल फंड्स में निवेश को और बढ़ाने के लिए अहम कदम उठा सकता है। उन्होंने कहा, “इंडेक्सेशन लाभ को फिर से बहाल करना, कैपिटल गेन टैक्स को तार्किक रूप से ठीक करना और डेट-लिंक्ड सेविंग्स स्कीम की शुरुआत से भारत के बॉंड बाजार को मजबूत किया जा सकता है। इससे दीर्घकालिक बचत को बढ़ावा मिलेगा और निवेशकों का विश्वास फिर से मजबूत होगा।”
निष्कर्ष
आखिरकार, म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री के लिए 2025 का बजट बहुत महत्वपूर्ण हो सकता है। इसमें किए गए कर बदलाव, इंडेक्सेशन लाभ की बहाली, और अन्य टैक्स राहतों से निवेशकों का विश्वास बढ़ सकता है और उन्हें लंबी अवधि तक निवेश करने के लिए प्रेरित किया जा सकता है। अगर ये मांगें पूरी होती हैं, तो म्यूचुअल फंड्स का क्षेत्र फिर से आकर्षक बन सकता है और भारतीय वित्तीय बाजार में स्थिरता और विकास को बढ़ावा मिल सकता है।