Infosys के CEO सलिल पारेख ने वर्क कल्चर पर चिंता जताई, भूपेंद्र के खुलासे से मचा हंगामा

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Infosys: 16 जनवरी को इंफोसिस की Q3 अर्निंग कॉल में CEO सलिल पारेख से कुछ तगड़े सवाल पूछे गए। बात थी कंपनी की सैलरी बढ़ोतरी और जहरीली कार्य संस्कृति की। ये सब तब शुरू हुआ जब पूर्व कर्मचारी भूपेंद्र विश्वकर्मा ने अपनी लिंक्डइन पोस्ट में इंफोसिस के कामकाज के माहौल पर बड़े खुलासे किए। इससे पहले, नारायण मूर्ति के 70 घंटे काम करने वाले बयान ने भी बवाल मचाया था।

सलिल पारेख ने क्या कहा?
सलिल पारेख ने साफ शब्दों में कहा, “हम इंफोसिस में हर कर्मचारी के साथ न्याय करते हैं। हमारे पास एक तय प्रक्रिया है, जो ये सुनिश्चित करती है कि प्रदर्शन के आधार पर सबको मौका मिले।”

भूपेंद्र के खुलासे से क्यों मचा हंगामा?
भूपेंद्र ने अपनी पोस्ट में लिखा कि उन्होंने बिना दूसरी नौकरी के इंफोसिस को अलविदा कह दिया। वजह? न सैलरी में बढ़ोतरी, न करियर में तरक्की, काम का असमान बंटवारा, क्लाइंट्स का खराब रवैया, और मान्यता की कमी। उन्होंने लिखा, “मैंने इंफोसिस में जो समस्याएं झेली हैं, वो कई बड़ी कंपनियों में भी आम हैं। मैं इन पर खुलकर बात करना चाहता हूं।”

90 घंटे काम करने की बहस
बात यहीं खत्म नहीं हुई। एलएंडटी के चेयरमैन एस एन सुब्रमण्यम ने भी रविवार को काम करने की वकालत कर दी। उन्होंने एक वीडियो में कहा, “मुझे दुख है कि मैं आपसे रविवार को काम नहीं करवा पा रहा। अगर आप रविवार को भी काम करते, तो मुझे खुशी होती, क्योंकि मैं तो करता हूं।”

इस बहस ने कंपनी की कार्य संस्कृति और काम के घंटों पर एक नई चर्चा छेड़ दी है। अब देखना ये है कि इंफोसिस इन मुद्दों को कैसे हल करती है।

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