Weight Loss Drugs: आ गई मोटापा घटाने की दवा, जल्द ही भारत में होगी लॉन्च, जानें कीमत

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Weight Loss Drugs: क्रिसमस का दिन, चारों ओर खुशियों का माहौल, और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने सबको चौंका दिया! उन्होंने अपने ट्विटर (अब X) अकाउंट पर खुद को एक पतले सांता क्लॉज़ के रूप में पेश किया। लेकिन असली धमाका तो उनके एक मजेदार कमेंट से हुआ, जिसमें उन्होंने मोटापा कम करने वाली दवाओं मोंजारो और ओज़ेम्पिक की तुलना “कोकीन बियर” से कर दी।

अब सोचिए, जब आपके पास 209 मिलियन फॉलोअर्स हों और आप ऐसी बात कहें, तो हलचल मचना तय है। मोंजारो और ओज़ेम्पिक की निर्माता कंपनियां—एली लिली और नोवो नॉर्डिस्क—पहले से ही शेयर बाजार में चमक रही थीं, और मस्क के इस ट्वीट ने उन्हें और भी ऊपर पहुंचा दिया।

मोटापा: हर घर की कहानी

अब बात करते हैं मोटापे की, जो कि आजकल हर दूसरे इंसान की समस्या बन चुका है। मियामी, फ्लोरिडा की सविता आहूजा, जो एक कॉर्पोरेट वकील हैं, ने मोंजारो का इस्तेमाल किया और 10 हफ्तों में 13 किलो वजन कम कर लिया। सविता कहती हैं, “मैंने जीवन में कई डाइट और वर्कआउट ट्राई किए, लेकिन मोंजारो ने तो मानो चमत्कार कर दिया।”

उनकी इस सफलता ने उनके भारतीय कज़िन को भी उत्साहित कर दिया, जो सालों से वजन कम करने के लिए टीवी पर बिकने वाली हर चीज़ ट्राई कर चुका था—पिल्स, पाउडर, यहां तक कि वाइब्रेटिंग बेल्ट भी!

भारत में जल्द आएंगी ये दवाएं

अब सवाल यह है कि भारत में ये दवाएं कब तक आएंगी? जवाब है—बहुत जल्द! एली लिली और नोवो नॉर्डिस्क 2025 तक मोंजारो और ओज़ेम्पिक भारत में लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं। एली लिली ने तो भारत में इसके लिए सभी जरूरी अनुमतियां भी ले ली हैं।

मोटापा और डायबिटीज: दोहरी समस्या

भारत में मोटापा और डायबिटीज की समस्या लगातार बढ़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के लगभग 40% वयस्क या तो ओवरवेट हैं या मोटापे से ग्रस्त हैं। और जहां मोटापा होगा, वहां डायबिटीज का भी होना तय है।

एक अनुमान के मुताबिक, भारत में 101 मिलियन लोग डायबिटीज के साथ जी रहे हैं। इनमें से बड़ी संख्या में लोग मोटापे की वजह से इस बीमारी की चपेट में आए हैं।

नई दवाओं का विज्ञान

अब बात करते हैं मोंजारो और ओज़ेम्पिक के काम करने के तरीके की। ये दवाएं GLP-1 रिसेप्टर को टारगेट करके शरीर में इंसुलिन उत्पादन को बढ़ाती हैं, भूख को कम करती हैं और पेट से आंत तक भोजन के धीमे मूवमेंट को सुनिश्चित करती हैं। इसका मतलब हुआ कि आपको जल्दी भूख नहीं लगती और पेट भी भरा-भरा महसूस होता है।

क्लिनिकल ट्रायल्स में इन दवाओं ने लोगों के वजन में 20% तक की कमी दिखाई है। यानी मोटापे से जूझ रहे लोगों के लिए ये दवाएं किसी वरदान से कम नहीं हैं।

कीमत: आम आदमी की पहुंच में?

लेकिन इन दवाओं की सबसे बड़ी चुनौती है उनकी कीमत। अमेरिका में इन दवाओं की मासिक लागत लगभग $1,000 है। अब इतनी महंगी दवाएं भारत के आम आदमी के लिए कैसे सुलभ होंगी?

अगर इन दवाओं की कीमत भारत में कम की गई और लोकल फार्मा कंपनियों ने इनके जेनेरिक वर्जन बनाए, तो ये दवाएं देश के करोड़ों लोगों की जिंदगी बदल सकती हैं।

भारतीय फार्मा कंपनियों की तैयारी

भारत की फार्मा कंपनियां भी इस मौके को भुनाने के लिए तैयार हैं। डॉ. रेड्डीज, ल्यूपिन, जाइडस कैडिला और सन फार्मा जैसी कंपनियां अपने-अपने वर्जन पर काम कर रही हैं।

डॉ. रेड्डीज ने तो सेमाग्लूटाइड पर बायोइक्विवलेंस स्टडी की मंजूरी भी ले ली है। वहीं, सन फार्मा अपने लॉन्ग-एक्टिंग GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट पर काम कर रही है, जो मोटापे से ग्रस्त और डायबिटीज के बिना लोगों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।

भविष्य की चुनौतियां

हालांकि, इन दवाओं का भारत में आना इतना भी आसान नहीं होगा। भारतीय ड्रग कंट्रोलर जनरल से इन दवाओं को मंजूरी मिलने में समय लग सकता है। साथ ही, इन दवाओं के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाने की जरूरत होगी।

निष्कर्ष

मोंजारो और ओज़ेम्पिक जैसी दवाएं भारत में मोटापा और डायबिटीज की समस्या से निपटने में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं। लेकिन इनकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि ये दवाएं आम आदमी की पहुंच में कितनी जल्दी और कितनी सस्ती हो पाती हैं।

तो तैयार हो जाइए, क्योंकि जल्द ही बाजार में एक नई क्रांति आने वाली है, जो न सिर्फ वजन कम करेगी, बल्कि जीवनशैली में भी बड़ा बदलाव लाएगी!

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